उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय भर्ती घोटाले का इनामी सरगना गिरफ्तार
नौकरी दिलाने के नाम पर दर्जनों युवाओं से करोड़ों की ठगी की थी
देहरादून । उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में नौकरी दिलाने के नाम पर दर्जनों युवाओं से करोड़ों की ठगी करने के आरोपित मृणाल धूलिया को पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। मृणाल के खिलाफ बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट संघ के प्रदेश अध्यक्ष आजाद डिमरी ने जनवरी 2019 में नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। गिरफ्तारी से बचने को मृणाल नैनीताल हाईकोर्ट से अरेस्ट स्टे ले आया। हाल में पुलिस ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट दी कि मृणाल जांच में सहयोग नहीं कर रहा है, जिस पर कोर्ट ने अरेस्ट स्टे खारिज कर दिया। इस बीच पुलिस ने उस पर ढाई हजार रुपये का ईनाम भी घोषित कर दिया था। मृणाल धूलिया मूलरूप से कोटद्वार का रहने वाला है। वर्ष 2006 से 2011 के बीच उसने मुंबई में कंसलटेंसी एजेंसी में नौकरी की। इसके बाद वह देहरादून आ गया। यहां मृत्युंजय मिश्र से संपर्क हुआ और पंचकर्म कोर्स का संचालन करने लगा। इसी दौरान मिश्रा से नजदीकी और रुतबे का प्रयोग कर ठगी की। उसने अपने परिवार के लोगों को भी विवि में नौकरी दिलाई। दिल्ली में छिपा था मृणाल देहरादून में मुकदमा दर्ज होने के बाद जब उसे नैनीताल हाईकोर्ट से अरेस्ट स्टे मिला तो वह बंगलुरू भाग गया। वहां कुछ महीने रहने के बाद मुंबई और फिर दिल्ली आकर कारोबार फैलाने की कोशिश में जुट गया, लेकिन हाईकोर्ट ने अरेस्ट स्टे इसी शर्त पर दिया था कि वह जांच में सहयोग करेगा, लेकिन पुलिस के पूछताछ के लिए बुलाने पर वह नहीं आ रहा था। फिर पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी। इस बीच वह दिल्ली के ग्रीन पार्क एरिया में किराये के फ्लैट में रहने लगा। पुलिस की ओर से उस पर ढाई हजार रुपये का ईनाम घोषित कर दिया गया। जब उसके ठिकाने पर पुलिस पहुंची तो पता चला कि वह एक मीटिंग के लिए जम्मू गया हुआ है। मंगलवार को पुलिस ने लौटते वक्त दिल्ली में सोनीपत हाईवे से उसे गिरफ्तार कर लिया। उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले मृणाल धूलिया ने मृत्युंजय मिश्रा की शह पर वसूली की थी। वह संपर्क में आने वाले बेरोजगारों को झासे में लेने के लिए खुद को मिश्रा का करीबी बताता था। विवि परिसर में उसके रुतबे को देख कर लोग सहज ही उसकी बात पर यकीन कर लेते थे। अब तक ठगी के शिकार हुए 15 लोग सामने आ चुके हैं। पुलिस की मानें तो पाच और लोगों ने संपर्क किया है, लेकिन अभी उनकी ओर से तहरीर नहीं आई है। पुलिस के अनुसार, मृणाल धूलिया निवासी जीटीएम मोहकमपुर ने नेहरू कॉलोनी में ओजस्वी एसोसिएट्स के नाम से आफिस खोल रखा था। उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में पंचकर्म अस्पताल का पीपीपी मोड पर संचालन करता था। इसके चलते उसकी नजदीकी तत्कालीन कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा से बढ़ी तो धीरे-धीरे वह खुद को विश्वविद्यालय का संचालक बताने लगा। विश्वविद्यालय में मार्च 2018 में 135 पदों पर भर्ती निकली। मृणाल धूलिया ने ऐसा प्रचारित किया जैसे यह सारी भर्तियां उसी को करनी हैं। उसके झांसे में आकर तमाम बेरोजगार युवक-युवतियों ने उससे संपर्क किया। नौकरी दिलाने के नाम पर धूलिया ने करोड़ों रुपये की वसूली की। लेकिन महीनों गुजर जाने के बाद भी जब युवक-युवतियों को नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। उसने युवक-युवतियों को करीब 83 लाख चेक दिए, मगर ये चेक बाउंस हो गए। इसके बाद बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट संघ के प्रदेश अध्यक्ष आजाद डिमरी की तहरीर पर नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। दिसंबर 2018 से जेल में है मृत्युंजय मिश्रा उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के निलंबित कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा पर भी सितंबर 2019 में इसी धोखाधड़ी के मामले में विजिलेंस ने डोईवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। विजिलेंस ने उसे तीन दिसंबर 2018 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मृत्युंजय तभी से जेल में है।
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