12 साल पहले लापता हुई बुजुर्ग महिला मिली अपने परिवार से परिजनों में खुशी की लहर

इंसान की जिंदगी में रिश्तों का खास महत्व होता है, जिसकी बानगी रुड़की में देखने को मिली, जहां 12 साल पहले सब रिश्ते गवा चुकी एक महिला को उसका बिछड़ा परिवार मिल गया। मानो परिवार में खुशियां लौट आई, बेटा, बेटी, बहु, नाते रिश्तेदार सबको पाकर एक रिश्ता ऐसा कायम हुआ जिसकी उम्मीद सब गवा चुके थे। जी हां 12 साल पहले रुड़की के सुनहरा गाँव स्थिर नई बस्ती की रहने वाली बाला देवी सन्धिगत परिस्थितियों में लापता हो गई थी, जिसकी काफी तलाश करने के बावजूद भी कुछ पता नही चल पाया था, समय बीतता गया और परिवार सब्र करके बैठ गया, जैसे जैसे साल बीते परिवार को लगा कि बाला देवी अब उनकी बीच नही रही, लेकिन फिर अचानक बाला देवी का पता लगा और उन्हें चेन्नई से परिवार के बीच लाया गया, एक बार तो सब देखकर हैरान रह गए, मानो परिवार में खुशियां बरस पड़ी, बाला देवी को परिवार मिला, और कुछ परिवार के नए सदस्य भी। 2008 में रुड़की के सुनहरा निवासी महिला बाला देवी जो दिमागी रूप से बीमार थी, सहारनपुर रेलवे स्टेशन से रुड़की के लिए आरही थी तभी किसी और ट्रेन में बैठने के कारण वह कही और चली गई।
जब बाला देवी घर नही पहुँची तो परिवार वालो ने काफी तलाश किया लेकिन उनका कुछ पता नही चल पाया, समय बीतता गया और परिवार भी बाला देवी को भुला बैठा। फिर अचानक एक फोन कॉल ने सबको चौका दिया। दरअसल बाला देवी किसी तरह चेन्नई पहुँच गई, और वहां उन्हें एक इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ, चेन्नई जो कि एक सरकारी संस्थान है, उसमें भर्ती कराया गया, इस दौरान उनकी पहचान करने की काफी कोशिश भी की गई लेकिन मानसिक रोगी होने के कारण उनकी पहचान नही हो सकी, जिस पर संस्थान ने इसी साल 28 मई को एस्पाइरिंग लाइस एन.जी.ओ. जो कि मानसिक रूप से अस्वस्थ लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाने का कार्य करती है , उससे संपर्क किया ताकि बाला देवी को उनके परिवार से मिलाया जा सके एस्पाइरिंग लाइव्स के मैनेजिंग मनीष कुमार ने अपने स्तर से उक्त महिला की छानबीन की और आखिरकार उन्होंने बाला देवी के परिवार को ढूंढ निकाला, जिसके बाद परिवार वालो से सम्पर्क किया गया और उन्हें पूरा माजरा बताते हुए उन्हें चेन्नई बुलाया गया। तब उनके बेटे की शादी हुई थी, फिलहाल परिवार में बाला देवी के लौटने से खुशियो भरा माहौल है, अभी भी परिवार वाले मानते है जैसे ये सब एक सपना हो। लेकिन यही सच्चाई है। परिजनों ने एनजीओ, और उक्त हैल्थ संस्थान का धन्यवाद व्यक्त करते हुए आभार जताया है।