कोरोना काल में बेरोजगार हुए प्रवासी अब घराटों के जरिए स्वरोजगार की पहल कर रहे

रूद्रप्रयाग — पहाड़ों में अपना अस्तित्व खो रहे घराटों को लेकर एक अच्छी खबर है। घराटों के दिन एक बार फिर बहुरने लगे हैं। कोरोना काल में बेरोजगार हुए प्रवासी अब घराटों के जरिए स्वरोजगार की पहल कर रहे हैं। कोविड-19 से हुए लाॅकडाउन में प्रदेश से घर आए प्रवासी घराटो को पुर्नर्जीवित कर उन्हें रोजगार का जरिए बना रहे हैं। रूद्रप्रयाग जनपद के जखोली विकासखण्ड के सिरसोलिया गाँव के 11वीं में पढ़ने वाले अमित भट्ट ने अपने प्रवासी चाचा शिव शंकर भट्ट के साथ मिलकर 25 सालों से बंद पड़े घराट को नये स्वरूप में विकसित कर स्वरोजगार कर रहे हैं। सिरसोलिया गांव में करीब 35 परिवार निवासरत हैं। यहां के ग्रामीणें को गेहूँ, मंडुवा आदि की पिसाई के लिए दो की दूर पैदल जाना पड़ता था।
ऐसे में 11वीं कक्षा के छात्र अमित भट्ट ने अपने गांव के पास बहने वाले सदाबहार गदेरे पर 25 सालों से बंद पड़े घराट को शुरू करने का बीड़ा उठाया। लाॅकडाउन में घर आए अमित के चाचा शिव शंकर भट्ट ने अमित को परामर्श दिया और दोनो ने मिलकर इस घराट में कुछ आधुनिक मशीन्दरी जोड़कर नये स्वरूम में विकसित कर दिया। पिछले अगस्त माह से इस घराट पर पिसाई आरम्भ की गई और आज पूरे गांव इसी घराट से पिसाई करवाता है। आधुनिकता के इस दौर में पहाड़ के घराट विलुप्त की कगार पर पहुँच चुके हैं दूरस्थ क्षेत्रों में कहीं इक्का-दुक्का घराट ही अब नजर आते हैं, लेकिन सिरसोलियां गाव में की गई इस पहल से न केवल पहाड़ के इन घराटो का अस्तित्व पुर्नर्जीवित हो रहा है बल्कि रोजगार का एक बेहतर जरिया भी बन रहा है।
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