इस साल 14 नवंबर को मनाई जाएगी बड़ी और छोटी दीपावली

दीवाली का त्यौहार हिंदू धर्म में बेहद मान्यता रखता है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष दिवाली 14 नवंबर को मनाई जाएगी। दिवाली का त्योहार मुख्य रूप से पांच दिन का होता है। इसकी शुरुआत धनतेरस के साथ होती है और इसका समापन भैया दूज के साथ होता है। दीपावली भारतवर्ष में मनाया जाने वाला हिंदूओं का एक ऐसा पर्व है।
जिसके बारे में लगभग सब जानते हैं। माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे जिसके बाद अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा । श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए जहां कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं।त्यौहारों का सीजन शुरू हो चुका है। जहां कुछ महिलाएं घर की सफाई, नए कपड़ें खरीदने में व्यस्त है। दीवाली पर खुशियां बरकरार रहें इसके लिये आप दिवाली और धनतेरस से पहले ही घर को अच्छी तरह से साफ कर लें। दीवारों पर रंगाई-पुताई का कार्यक्रम धनतेरस से पहले समाप्त हो जाना चाहिए।
साथ ही मुख्य द्वार पर कभी अंधेरा न रहने दें।
इस स्थान पर दिये की रोशनी होना काफी शुभ माना जाता है। इसलिए दिवाली से पहले और दिवाली के बाद घर के बाहर भी उजाला रखें। पूजा के स्थान से पुराने चित्र और मूर्तियां भी हटा दें। फटे हुए चित्र और टूटी हुई मूर्तियों को घर में बिल्कुल स्थान न दें। इन चित्रों और मूर्तियों का विसर्जन भैया दूज के बाद करें। साथ ही अगर पूजा स्थल पर कोई मूर्ति नहीं हैं तो उस स्थान पर दीपक जलाकर ईश्वर की उपासना करें।
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 14 नवंबर को दिवाली है। मान्यता है कि अमावस्या तिथि की रात्रि को देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं। प्रदोष काल में लक्ष्मी गणेश पूजन का विशेष महत्व होता है। सायं 5 बजकर 24 मिनट से रात्रि 8 बजकर 06 तक प्रदोष काल मान्य रहेगा। प्रदोष काल से लेकर रात्रि 7 बजकर 5 मिनट तक लाभ की चौघड़िया भी विद्यमान रहेगी।
महालक्ष्मी और गणेश की पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक है। निशिता काल में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त देर रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 32 मिनट तक है। 34 मिनट की अवधि में आपको लक्ष्मी पूजा संपन्न कर लेनी चाहिए।