लॉक डाउन में अन्नदाता परेशान बिचौलियों की जेब में माल
देश में लगे लॉक डाउन से हर कोई परेशान है।चाहे आम आदमी हो व्यापारी हो किसान हो या फिर किसी भी तपके का व्यक्ति हो सभी परेशान है।ऐसे में फल व सब्जी पैदा करने वाले किसानों को भारी परेशानी हो रही है।उनकी सब्जी वह फल भले ही बाजार में बेहद कम दामों में बिक रहे हैं।लेकिन बिचौलिये उनसे कम दामों में लेकर उन्हीं फल व सब्जियों पर दो से ढाई गुना मुनाफा कमा रहे हैं।किसान की जेब में कुछ नहीं जा रहा है जिससे इस बार फल व सब्जी पैदा करने वाले किसान लाचारी का जीवन जी रहे हैं। हमने लक्सर की नील धारा गंगा मे जाकर फल व सब्जी पैदा करने वाले किसानों से उनके हालात जानने की कोशिश की उन्होंने बताया कि इस बार देश में फैली में महामारी की वजह से जो बराबर लॉक डाउन लग रहा है। उससे हमारे धंधे पर काफी प्रभाव बढ़ा है।हमारी फल व सब्जियों के दाम बाजार में नहीं मिल पा रहे हैं। हालात इतने खराब है कि कई बार तो अपने फल में सब्जियां बाजार में ही रख आना पड़ता है। लागत तो बहुत दूर की बात है रोजमर्रा का खर्च भी उठाने में काफी परेशानी हो रही है।हमने किसानों से बाजार में बिक रही इनकी फल व सब्जी के दामों की जानकारी कि उन्होंने बताया कि इनकी सब्जियों के दाम इतने कम है।जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।उन्होंने बताया कि कद्दू ₹2 किलो लोकी दो रुपए किलो तोरई ₹12 किलो तरबूज ₹4 किलो टेंडस ₹12 किलो खीरा ₹5 किलो कि कम से जा रहा है।इतने कम दाम में भी कई बार खरीदने वाले ग्राहक नहीं मिलते जिस दिन के खराब हो जाने के कारण इन्हें बाजार में ऐसे रख कर आना पड़ता है।किसानों ने बताया कि इस बार फल व सब्जी की खेती घाटे का सौदा बन रही है।हमने जो पैसा बाजार से ब्याज पर उठाकर खेती में लगाया था। उसकी पूर्ति करना हमारे बस से बाहर की बात बन चुकी है।जबकि बिचौलिए इन मेहनत कर किसानों से सब्जियों व फलों को सस्ते दामों में खरीदकर आम जनता को दो से ढाई गुना दामों पर बेच रहे हैं।मेहनत कश किसान की जी भले ही खाली हो लेकिन बाजार में बैठे इन बाजारी दलालों की जेब नोटों से भर रही हैं।बाजार में बैठे बिचौलिए इन्ही फल व सब्जियों को तरबूज ₹10 किलो टेंडस ₹30 किलो लौकी ₹10 किलो खरबूजा ₹15 किलो तोरई ₹30 किलो खीरा ₹15 किलो के दामों में बेचकर मोटी कमाई कर रहे हैं। किसान पर भले ही लॉक डाउन का असर पड़ा हो लेकिन इन बिचौलियों पर लॉक डाउन का कोई असर नहीं है। किसानों की मेहनत का दाम बिचौलिए लूट रहे हैं।अपनी बीवी बच्चों सहित गंगा में पड़े इन किसानों के सामने सब्जियों व फलों के उचित दाम न मिल पाने के कारण खाने के लाले पड़ने की नौबत उभरने लगी है। इनका कहना है कि इस बार वह मोटे कर्ज के नीचे डूब जाएंगे।जिससे उबरना उनके बस से बाहर की बात है।
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