जीवन की हर समस्या को एक चुनौती की तरह लीजिये और आगे बढ़िये

ऋषिकेश– विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि बीमारी चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक, बीमारी तो बीमारी है जो हमारे स्वास्थ्य और गतिविधियों को प्रभावित करती है, इसलिये उसका इलाज होना चाहिये। जिस प्रकार हम शारीरिक समस्याओं पर खुलकर बात करते हैं और उनका इलाज कराते हैं उसी प्रकार मानसिक समस्याओं पर भी खुलकर बात की जाये ताकि उसका भी इलाज किया जा सके। जीवन में कई पल ऐसे आते हैं जो हमारे अनुरूप नहीं होते जिससे तनाव उत्पन्न होता है, हम धैर्य खोने लगते हैं जिससे कई अन्य मानसिक समस्यायें भी उत्पन्न होने लगती हैं। स्वामी जी ने कहा कि मानसिक समस्याओं से हर किसी को रूबरू होना पड़ता है। आप महात्मा गांधी जी, अब्राहम लिंकन, विंस्टन चर्चिल, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, डाॅ अब्दुल कलाम और अन्य अनेक हस्तियों की आत्मकथा में आपको एक समानता अवश्य होगी, वे सब भी अपने जीवन में तनाव से गुजरे हैं परन्तु वे धैर्य के साथ आगे बढ़ते गये और आज उनका नाम इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षरों से अंकित हैं। वे आज करोड़ों लोगों के लिये मार्गदर्शक व प्रेरणा के स्रोत हैं। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि सामान्य लोग हों या महान हस्तियाँ सभी को किसी न किसी प्रकार की मानसिक बीमारी या तनाव से होकर गुजरना पड़ता है। परन्तु ये असाधारण व्यक्तित्व के धनी लोग अगर अवसादग्रस्त होकर कोई आत्मघाती कदम उठा लेते तो इतिहास को बेहतर आकार नहीं प्रदान कर पाते। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि भारत जैसे देश में मानसिक बीमारियों के संबंध कोई बात नहीं करता, लोगों के पास मानसिक रोगों से संबंधित जानकारियों का अभाव है, इससे संबधित स्वास्थ्य सेवाएँ बहुत अधिक खर्चीली हैं और देश के प्रत्येक नागरिक तक उनकी पहुँच भी नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल 800,000 से अधिक लोग आत्महत्या करके मरते हैं, जिससे यह पंद्रह से पच्चीस वर्ष की आयु के लोगों में मृत्यु का प्रमुख कारण है। नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे ऑफ इंडिया, 2016 के अनुसार, मानसिक विकारों की व्यापकता 13-17 वर्ष की आयु के बीच 7.3% थी। आत्महत्या एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, पूज्य स्वामी जी ने कहा कि भारत को जरूरत है, एक प्रभावी मानसिक स्वास्थ्य प्रणाली को विकसित करने की।