कॉर्बेट में बाघों की बढ़ती संख्या ने पार्क प्रशासन की बढ़ाई टेंशन

देश में बाघों के लिए सबसे मुफीद माना जाने वाला कॉर्बेट टाइगर रिजर्व अब अपनी धारण क्षमता के अंतिम छोर पर पहुंच गया है. कभी जंगल के राजा टाइगर की सल्तनत कहे जाने वाले इस रिजर्व में अब उनकी मौजूदगी खतरे की घंटी बनती जा रही है. भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा कराए जा रहे अध्ययन के शुरुआती निष्कर्षों ने साफ कर दिया है कि कॉर्बेट अब और बाघों का भार सहन करने की स्थिति में नहीं है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या और उनके लिए सीमित हो रहे क्षेत्रफल के चलते कॉर्बेट और आसपास के वन्य क्षेत्रों में वन्य जीव-मानव संघर्ष की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं. इतना ही नहीं, अब इन बाघों को अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए पहाड़ी इलाकों तक पलायन करना पड़ रहा है, जहां कभी उनकी मौजूदगी न के बराबर हुआ करती थी। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व देश में बाघों के घनत्व के लिहाज से सबसे समृद्ध टाइगर रिजर्व माना जाता है. वर्ष 2022 में जारी अखिल भारतीय बाघ गणना के अनुसार उत्तराखंड में कुल 560 बाघ हैं, जिनमें से करीब 260 बाघ अकेले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मौजूद हैं। यह संख्या कॉर्बेट की धारण क्षमता से काफी अधिक मानी जा रही है।