राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादूर शास्त्री जी को अर्पित की भावभीनी श्रद्धांजलि

ऋषिकेश–एसोसिएशन ऑफ इंडियन फिलाॅस्फर्स इंटरनेशनल द्वारा आयोेजित तीन दिवसीय वेबिनाॅॅर में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित इस वेबिनाॅर में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने गांधी दर्शन की प्रासंगिकता और वैश्विक स्तर पर करूणा, शान्ति और सौहार्द की स्थापना हेतु गांधी जी द्वारा दिखाये गये अहिंसा के मार्ग का अनुकरण करते हुये वर्तमान समय में समाज में बढ़ रही हिंसा को किस प्रकार कम किया जा सकता है, इस पर विस्तृत प्रकाश डाला। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती के अवसर पर अहिंसा-द फाउंडेशन ऑफ कास्मिक हारमॅनी वेबिनाॅर के प्रमुख अतिथि श्री श्याम जाजू जी, प्रोफेसर श्री एस आर भट्ट जी, प्रोफेसर कुमार रतनम जी, फिल्म अभिनेता श्री नितीश भारद्वाज जी, प्रोफेसर, चांसलर श्रीमती रश्मि मित्तल जी, श्री कौशलेन्द्र सिंह जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने वर्चुअल रूप से सहभाग कर प्रभावशाली शब्दों में अपने विचार व्यक्त किये। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि गांधी जी का दर्शन हर युग के लिये प्रासंगिक है। इस वैश्विक एवं तकनीकी युग में वैश्विक स्तर पर सद्भाव और करुणा का वातावरण बनाए रखने और वसुधैव कुटुम्बकम्, विश्व एक परिवार है की कल्पना को साकार करने के लिये गांधी जी के सिद्धान्तों को आत्मसात करना होगा। महात्मा गांधी ने अहिंसा की बहुत ही सुन्दर व्याख्या की है ’’अहिंसा सिर्फ आदर्श नहीं बल्कि मानव मात्र का प्राकृतिक नियम है। अहिंसा के पूर्ण पालन के लिये ईश्वर में अटूट विश्वास जरूरी है अर्थात आध्यात्मिक जीवन शैली अपनाना होगा। अहिंसा, अव्यावहारिक नहीं है बल्कि यह एकमात्र व्यावहारिक मार्ग है।