आउटसोर्स कर्मचारियों का,सचिवालय कूच को आप का समर्थन :आप
आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ,आप अध्यक्ष समेत कार्यकर्त्ता करेंगे,सचिवालय कूच:आप
देहरादून– आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एसएस कलेर ने आज देहरादून के राजपुर विधानसभा के एकता विहार में अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे उत्तराखंड पंचायती राज आउटसोर्सिंग कर्मचारी से मुलाक़ात कर संगठन को अपना पूर्ण समर्थन दिया। पंचायती राज विभाग ने वर्ष 2018 में आउटसोर्सिंग के जरिए, 95 कनिष्ठ अभियंता और, 281 डाटा एंट्री ऑपरेटर, को प्रदेश के सभी विकास खंडों में नियुक्त किया था। 31 मार्च, 2020 को इन सभी कर्मियों को विभाग ने पंचायती राज निदेशक के आदेश के बाद सभी को पद से हटा दिया। जिससे यह सभी कर्मी सड़क में आ चुके हैं। इनकी एक मांग है कि इन्हे बहाल किया जाए । जिसके लिए वो पिछले 23 अक्टूबर से धरने पर बैठें हैं, और अपनी बहाली की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। इसलिए अपनी मांगों को लेकर वो 6 नवम्बर को सचिवालय कूच करेंगे, जिसमें आम आदमी पार्टी का समर्थन मिलने से आप कार्यकर्ता भी आप अध्यक्ष के नेतृत्व में, इनकी मांगो को लेकर, इनके साथ सचिवालय कूच करेंगे। इस मौके पर पहुंचे आप प्रदेश अध्यक्ष में कहा कि यह सरकार पूरी तरह से निरंकुश हो चुकी है। आज लोगों को अपना हक छीन कर लेना पड़ रहा है। कई संगठन आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन फिर भी उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। मुख्यमंत्री और सरकार झूठे आश्वासन देकर लोगों को बरगलाने का काम शुरू से ही करती आई है। इन लोगों को बजट के अभाव में पद से हटाया गया है जबकि 15 वां वित्त से सरकार ने ग्राम पंचायतों को 8 50 सौ करोड रुपए बजट अवमुक्त किया है और इस बजट के 2% कंटेंजेंसी माध्यम से इन कर्मियों को मानदेय दिया जा सकता है जिसका सरकार पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा। कलेर ने कहा कि 9 अक्टूबर को सीएम पोर्टल पर भी इन लोगों ने अपनी समस्या रखी थी और मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी भिजवाया था लेकिन सरकार ने फिर भी इन की फरियाद नहीं सुनी। देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा था कि को रोना काल में किसी को भी नौकरी से नहीं हटाया जाएगा लेकिन बीजेपी की कथनी और करनी में बहुत बड़ा फर्क है। आम आदमी पार्टी इस पूरे संगठन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और इस मामले में आम आदमी पार्टी सरकार से वार्ता करेगी और अगर तब भी सरकार ने मांग पूरी नहीं की तो सरकार के खिलाफ आम आदमी पार्टी संगठन के साथ मिलकर आंदोलन करने को बाध्य होगी जिसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ राज्य सरकार की होगी।