भगवा रंग के प्रस्ताव पर संतों ने महापौर के पक्ष में किया शंखनाद

*पौराणिक आस्था केअनुरूप सजाई जाएगी देवभूमि -अनिता ममगाई*
*ऑरेंज सिटी के मुद्दे पर कराया जाएगा जनमत संग्रह -महापौर*
ऋषिकेश- तीर्थ नगरी को भगवा रंग में रंगने के महापौर के प्रस्ताव का सर्मथन करते हुए शहर का संत समाज आज सड़कों पर उतर आया है। देवभूमि ऋषिकेश के संतों ,महंतों और धर्माचार्यो ने नगर निगम से रैली निकालकर ऑरेंज सिटी के मामले में निगम मेयर के समर्थन देने का शंखनाद कर दिया है।
तीर्थ नगरी को भगवा रंग में रगंने के महापौर के प्रयासों को भले ही कुछ भाजपा के पार्षदों का सर्मथन ना मिला हो लेकिन विभिन्न संस्थाओं के साथ शहर का संत समाज इस मुद्दे पर निगम की मेयर के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है।इसी की बानगी आज निगम से लेकर शहर के तमाम बाजारों में भी दिखी जब देवभूमि ऋषिकेश को आरेंज सिटी(भगवा रंग) में रंगने की मांग को लेकर यहां का संत समाज अखिल भारतीय संत समिति के बैनर तले सड़कों पर उतर आया।इस दौरान जय श्री राम के गूजांयमान उद्वोषो से तीर्थ नगरी गूंजती नजर आई। नगर निगम से प्रस्ताव के सर्मथन में संतो ने रैली निकाली और गंगा तट त्रिवेणी घाट पर मां गंगा की पूजा कर ऋषिकेश को भगवा रंग में रंगने के संकल्प के साथ यहां स्थित मंदिर को भगवा रंग में रंग दिया।इससे पूर्व मंगलवार की दोपहर बड़ी भारी संख्या में शहर के धर्माचार्य, संत ,महात्मा और महामंडलेश्वर निगम कार्यालय पहुंचे जहां महापौर का ऋषिकेश को भगवा रंग में रंगने के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए उन्हें इस बाबत अपने पूर्ण सर्मथन का आश्वासन दिया गया।इस दौरान महापौर अनिता ममगाई ने कहा कि इस मुद्दे पर वह जनमत संग्रह कराया जायेगा।उन्होंने ऑरेंज सिटी को लेकर विरोध कर रहे पार्षदों पर एक जनप्रतिनिधि के हाथों में खेलने का आरोप भी जड़ा।कहा कि,देवभूमि को भगवा रंग से सजाने का प्रस्ताव शहर के पौराणिक महत्व को ध्यान में रखकर लाया गया है।उन्होंने कहा कि देवभूमि की पहचान आदिकाल से साधू संतों की तप स्थली के रूप में रही है।जहां संत ज्ञान की धारा प्रवाह कर रहे हो वही सच्चा तीर्थ है, मनुष्य तीर्थों के दर्शन करने यहां आता हैं ।ऐसे में देवभूमि भगवा रंग में रगीं हुई श्रद्वालुओं को दिखेगी तो उसकी अमिट छाप सदैव यहां आने वाले श्रद्वालुओं और पर्यटकों के मनोमस्तिष्क में अंकित रहेगी ।महापौर ने बताया कि कुछ माह पूर्व ऋषिकेश के तीर्थ महत्व के मुताबिक विकास को लेकर संतों के साथ समन्वय स्थापित करने के विषय पर चर्चा हुई थी।
जिसमें शहर के विकास के दौरान पौराणिक, धार्मिक व तीर्थ के महत्व के अनुरूप कार्य करने को लेकर राय ली गई थी।इस दौरान महामंडलेश्वर दया राम दास जी महाराज,रामानुजाचार्य स्वामी गोपालचार्य महाराज,महंत लोकेश दास महाराज,तुलसी मानस मंदिर अध्यक्ष पंडित रवि शास्त्री,महंत सुरेश दास महाराज, केशव दास महाराज, जय नारायण दास , महाराज गोपी किशन दास , महाराजरामेश्वर दास महाराज, चक्रपाणि दास महाराज, मोहन दास महाराज, स्वामी अखंडानंद महाराज ,कपिल मुनि महाराज, बिंद्रावन दास महाराज चेतन आनंद, गोविंद गिरी ,चित्रमणि आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।