महाकुंभ हरिद्वार 2021 के उपलक्ष्य में परमार्थ निकेतन में आयोजित कुंभ कांक्लेव का समापन

ऋषिकेश– वैश्विक स्तर पर माँ गंगा की दिव्य आरती, भारतीय संस्कृति और दर्शन को स्थापित करने में अग्रणीय भूमिका निभाने वाले परमार्थ निकेतन आश्रम में महाकुम्भ, हरिद्वार की दिव्यता और भव्यता के तत्वदर्शन पर आधारित दो दिवसीय ’’कुम्भ कांक्लेव’’ 2021 का आज परमार्थ गंगा तट ऋषिकेश में दिव्य और भव्य माँ गंगा जी की आरती के साथ समापन हुआ । कुम्भ कंक्लेव के समापन अवसर पर भारतीय जीवन दर्शन को जीवंत बनाने में आध्यात्मिक स्थलों, अखाड़ों, मठों की भूमिका पर मंथन किया।‘‘कुम्भ कांक्लेव, 2021’’ का दो दिवसीय आयोजन इंडिया थिंक काउंसिल, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेेश और अन्य संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। कुम्भ कांक्लेव के समापन अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष परम पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि आज समापन नहीं स्थापन है। कुंभ आज का नहीं बल्कि सनातन है । उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन के समय से ही कुंभ की परंपरा रही है और इस कुंभ परंपरा के माध्यम से भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता का आज भी स्थापन हो रहा है । आज संपूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता को स्वीकार कर रहा है, योग दिवस के माध्यम से, अध्यात्म के माध्यम से या फिर कोविड – 19 महामारी के इस काल में आयुर्वेद के माध्यम से । वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा का सबसे बड़ा उदाहरण आज हमारी संस्कृति ही है । कोविड -19 में आज विश्व को भारत दवाइयां और वैक्सीन दे रहा है । जाती-पांती, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, भाषा और क्षेत्र के सभी बंधनों को तोड़ते हुए वर्षों से कुंभ की परंपरा भारत और विश्व को जोड़ रही है । आज भी बिना किसी निमंत्रण के करोड़ों लोग माँ गंगा की गोद में चले आते हैं क्योंकि हम सभी सहोदर हैं यानी भारत माँ के उदर से उत्पन्न । भारतीय संस्कृति जोड़ती है और इसी जोड़ने की परंपरा का 6 वर्ष और 12 वर्ष में संकल्प का अवसर है कुंभ । आज समापन नहीं अपितु इस संकल्प को पुनः जागृत करने का अवसर है।