भाजपा के लिए सरकार में रहकर साख़ बचाना बना चुनौती
उत्तराखंड में भर्ती घोटाले में कांग्रेस खुलकर खेलने के मूड में है जबकि भाजपा के लिए सरकार में रहकर इस मुद्दे पर अपनी साख़ बचाना एक चुनौती बना हुआ है। नियुक्तियों में धांधली का मामला सामने आने के बाद सरकार सवालों के घेरे में है तो वहीँ कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतर रही है।
कांग्रेस उत्तराखंड में विभिन्न भर्तियों में गड़बड़ी को लेकर आक्रामक हो गई है। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के इस मुद्दे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा पर हमला बोला है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल सहित तमाम कांग्रेसी उत्तराखंड में सभी सरकारों के कार्यकाल में हुई भर्तियों की जांच उच्च न्यायालय के जज की निगरानी में सीबीआई से कराने की मांग करने लगे हैं। हरीश रावत ने राज्य में तमाम विभागों में नियुक्ति में धांधली के सवाल पर कहा कि सभी भर्तियों की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में सीबीआई से कराई जानी चाहिए।
वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने पलटवार किया है, उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस घोटालों की जननी है, और अभी सिर्फ घड़ियाली आंसू बहा रही है। उन्होंने कांग्रेस के 4 सितंबर को होने वाली दिल्ली यात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी तो कांग्रेस दिल्ली में जाकर अपना रोना-रो रही है।
साफ़ है की कांग्रेस के पास फिलवक्त खोने के लिए कुछ नहीं है और वह इस मुद्दे को गरमा कर प्रदेश में पुनः अपनी पैठ बनाने का मौका बनाना चाह रही हो मगर भाजपा के लिए इस मुद्दे से पार पाना आसान नहीं होगा। ऐसे में भाजपा प्रदेश संगठन ने बयानबाजी पर विराम लगाते हुए पार्टी नेताओं को सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं जिसमें खासतौर पर विधायकों को घोटाले से संबंधित विषय पर बयानबाजी न करने की हिदायत दी गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस विषय पर मीडिया से बातचीत में कहा कि उनके कार्यकाल में भी विधानसभा में भर्ती की फाइल चल रही थी। इस फाइल पर उन्होंने लिखा था कि जो भर्तियां करनी हैं, वे पूर्ण पारदर्शिता के साथ आयोग से कराई जाएं। मार्च में वह पद से हट गए थे। इसके बाद उन्हें अब विभिन्न माध्यमों से पता चल रहा है कि इसमें अपने-अपनों को नौकरी दी गई है।
वहीं भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक बयान पार्टी के लिए मुसीबत बनने लगा है। त्रिवेंद्र सिंह रावत का पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के मीडिया के सवालों के जवाब में यह कहना कि ” यदि कोई दूसरे के कार्य को आधार बनाकर यह कह रहा है कि पूर्व में ऐसा हुआ है और मैं भी ऐसा करूंगा, तो यह गलत है। इस तरह के उदाहरण देना दुर्भाग्यपूर्ण है, अच्छी बात नहीं। उन्होंने कहा कि भर्ती में पारदर्शिता है, यह सिर्फ कहने से नहीं होगा, यह जनता को दिखना भी चाहिए। हर कार्य के लिए नियम कानून बने हैं” पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के निर्णय पर खुद एक बड़ा सवाल है और यह पार्टी के लिए कतई मुफीद नहीं है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कड़े निर्णय लेने के लिए जाने जाते रहे हैं और उन्होंने भर्तियों की गड़बड़ी की जांच करने के संकेत भी दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह स्पीकर से बात करेंगे। सीएम धामी ने कहा कि क्योंकि विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है। लिहाजा वे विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले में बात करेंगे और सरकार इसको लेकर होने वाली जांच में पूरा सहयोग करेगी।