आगामी 10 सितंबर से शुरू हो जाएंगे श्राद्ध
शास्त्र के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष का आरंभ होगा। माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म माना गया है, हिंदू धर्म में पूर्वजों को याद कर उन्हें आभार व्यक्त करने की परंपरा है। पितृ पक्ष में पितरों को याद कर उन्हें सम्मान प्रदान किया जाता है। पितृ पक्ष यानि श्राद्ध का समापन अमावस्या की तिथि में किया जाता है। इस दिन को किया जाने वाला श्राद्ध सर्वपित्रू अमावस्या या महालय अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में महालय अमावस्या सबसे महत्वपूर्ण माना गया है….
पितृपक्ष से संबंधित पिंडदान करने की तिथियां निम्न इस प्रकार है…
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पितृपक्ष श्राद्ध-10 सितंबर 2022 से शुरू होकर 25 सितंबर 2022 तक)
10 सितंबर 2022, शनिवार: पूर्णिमा का श्राद्ध
11 सितंबर 2022, रविवार: प्रतिपदा का श्राद्ध
12 सितंबर 2022, सोमवार: द्वितीय का श्राद्ध
13 सितंबर 2022, मंगलवार: तृतीया का श्राद्ध
14 सितंबर 2022, बुधवार: चतुर्थी का श्राद्ध
15 सितंबर 2022, गुरुवार: पंचमी का श्राद्ध
16 सितंबर 2022, शुक्रवार : षष्ठी श्राद्ध
17 सितंबर 2022, शनिवार: सप्तमी का श्राद्ध
18 सितंबर 2022, रविवार: अष्टमी का श्राद्ध
19 सितंबर 2022,, सोमवार: नवमी का श्राद्ध
20 सितंबर 2022, मंगलवार: दशमी का श्राद्ध
21 सितंबर 2022, बुधवार: एकादशी/ ग्यारस का श्राद्ध
22 सितंबर 2022, गुरुवार: द्वादशी का श्राद्ध सन्यासियों का श्राद्ध
23 सितंबर 2022, शुक्रवार: त्रयोदशी का श्राद्ध
24 सितंबर 2022, शनिवार: चतुर्दशी का श्राद्ध
25 सितंबर 2022, रविवार: अमावस्या का श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध
वैसे तो श्राद्ध कर्म या तर्पण करने के भारत में कई स्थान है, लेकिन गया जी में पिंडदान करने सें पितृ दोष दूर होता है और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। पितृ श्रेणी में मृत पूर्वजों, माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी सहित सभी पूर्वज शामिल होते है। व्यापक दृष्टि से मृत गुरु और आचार्य भी पितृ की श्रेणी में आते है। पित्र पक्ष में अपने पितरों के लिए श्रीमद्भागवत कथा का पाठ भी कराये जाते है। भागवत जी के पाठ से भी पितर प्रशन्न होते है और धनधान्य, सुख शांति का आशीर्वाद देते हैं। पितर पक्ष में पितर गायत्री, त्रिपिंडी श्राद,नारायणबलि श्राद्ध एवं पित्रदोष पूजा दान यह कार्य शुभ रहते हैं।