उत्तराखंड सरकार ने बॉर्डर टूरिज्म की दिशा में एक कदम बढ़ाया
देहरादून; उत्तराखंड के सभी सीमांत गांवों को आबाद करने के लिए प्रदेश सरकार ने बॉर्डर टूरिज्म की दिशा में एक कदम बढ़ा दिए हैं। राज्य की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिवालय में योजना का विवरण प्रस्तुत किया जा चुका है। केंद्र से इसे हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग को योजना का खाका तैयार करने के निर्देश दिए हैं। भारत-चीन के बीच उत्तराखंड में 345 किमी लंबी सीमा है। वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ के कई गांवों को खाली करा दिया गया था। इनमें से कई गांव आज भी निर्जन हैं। देश की सीमा में लगे यह गांव किसी प्रहरी की भांति काम करते थे।
उत्तराखंड के इन चार ब्लाकों का किया गया है चयन
सैन्य मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा के करीब बसावट सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है। इसी को देखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों में बार्डर टूरिज्म की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक वहां लोगों को बसाना संभव नहीं हो पाता, तब पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके लिए उत्तराखंड के चार ब्लाक उत्तरकाशी में भटवाड़ी, चमोली में जोशीमठ और पिथौरागढ़ में मुनस्यारी व धारचूला का चयन किया गया है। ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है।