सोमवती अमावस्या पर स्नान, वृक्ष दान और ध्यान का विशेष महत्व
ऋषिकेश– महापर्व कुम्भ के पावन अवसर पर आज सोमवती अमावस्या के शाही स्नान तिथि पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और विख्यात श्री राम कथाकार संत श्री मुरलीधर जी ने प्रातःकाल परमार्थ गंगा तट पर दिव्य वेद मंत्रों के साथ स्नान कर माँ गंगा और भगवान सूर्य का पूजन किया।
आज के इस पावन अवसर पर सोमवती अमावस्या की शुभकामनायें देते हुये कहा कि सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या का बड़ा महत्व है। अमावस्या तिथि के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं। जहां सूर्य आग्नेय तत्व को दर्शाता है तो वहीं चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है। सूर्य के प्रभाव में आकर चंद्रमा का प्रभाव शून्य हो जाता है इसलिए मन को एकाग्रचित करने, श्रेष्ठ कर्म, और आध्यात्मिक चितंन के लिये यह उत्तम समय है। सोमवार के दिन अमावस्या की तिथि पड़ने पर पवित्र नदियों और तीर्थो में स्नान का फल कई गुणा अधिक हो जाता है तथा अक्षय फल देने वाली होती है सोमवती अमावस्या। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार आज के दिन पीपल के वृ़क्ष का पूजन, परिक्रमा और जल का अर्पण करने से अक्षय फल की प्राप्त होती है, सौभाग्य बढ़ता है एवं पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।