लॉकडाउन के बीच खनन कारोबारी जमकर काट रहे चांदी
यमकेश्वर विधानसभा के अंतर्गत सोढ़-मन्डाई-बिजनूर राजस्व ग्रामीण इलाका है जो कि मालन नदी का उद्गगम स्थल कहा जाता है लेकिन यह आजकल खनन करने वालो के लिए कुबेर का खजाना बनी हुई है। बात करे तो यहा दिन रात अवैध खनन हो रहा है,और किसकी सह पर हो रहा है यह बताने की जरूरत नही, सरकार को राजस्व का चूना लगाने को वहां सरकारी दामाद मोजूद है जिसे की अजमेर वल्ला -3 का पटवारी कहा जाता है पटवारी साहब सरकार से सिर्फ तनख्वाह लेने को है बाकी ड्यूटी तो साहब खनन माफियाओं की करते है ग्रामीणों के अनुसार पटवारी जी को कभी पटवारी चौकी या क्षेत्र में नही देखा गया है। मजेदार बात तो ये है कि पटवारी जी ने चौकी ही किराए पर चढ़ा दी है। ऐसे में केसे उत्तराखंड के गांवो की तस्वीर बदलेगी, जब रक्षक(पटवारी) क्षेत्र से गायब हो,ओर ग्रामीण जनता दर दर भटक रही हो, चौकिया किराए पर दे दी जाए, माफियाओ से मिलकर मालन का सीना चीरकर सरकार के राजस्व को करोड़ो की चपत लगा रहा हो, ऐसे सरकारी दामाद पर कब और क्या कार्यवाही होगी, ये तो प्रशासन के पाले में है इस सम्बंध में जब कानूनगो से पूछा तो उनका कहना था कि उन्होंने कई बार इस पटवारी को क्षेत्र व चौकी में ना रहने के कारण नोटिस जारी किया जा चुका है ओर तहसील प्रशासन को भी लिखित अवगत कराया गया है बड़ा सवाल है कि राजस्व निरीक्षक द्वारा पटवारी की हरकतों को तहसील प्रशासन को लिखित में अवगत कराने के बाद भी प्रशासन खामोश है ऐसे में सिस्टम लाचार है या भागीदार, इसका उत्तर तो 20 साल का ये उत्तराखंड आज तक ढूंढ रहा है।