भगवान राम चले जिस रास्तों पर उन रास्तों पर रखी जाएंगी आधारशिला, लोगों में उत्साह

अयोध्या में जैसे-जैसे राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तारीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे लोगों में उत्साह बढ़ता जा रहा है। चौदह वर्ष के वनवास के लिए प्रभु श्री राम अपनी पत्नी सीता व अनुज लक्ष्मण के साथ जिन रास्तों से चलकर चित्रकूट पहुंचे थे, उस रास्ते के लोग भी मंदिर निर्माण की आधारशिला रखे जाने को लेकर बेहद रोमांचित हैं। राम पथ गमन का रास्ता कौशांबी जनपद के चरवा गांव से होकर गुजरता है। बताया जाता है की चरक मुनि के आश्रम के नजदीक प्रभु श्री राम ने एक रात्रि विश्राम किया था। यहीं पर भक्तों ने प्रभु श्रीराम के एक रात्रि और प्रवास करने के लिए उनकी चरण पादुका चोरी कर लिया था। हालांकि जब प्रभु श्री राम नंगे पांव प्रयागराज के लिए प्रस्थान करने लगे तो भक्तों ने उनकी चरण पादुका वापस कर दी थी। कहा जाता है कि तभी से इस गांव का नाम चोरवा (जो अब चरवा) पड़ गया। चरवा गांव में आज भी वह वटवृक्ष मौजूद है जिसके नीचे प्रभु श्री राम ने विश्राम किया था। कई सौ साल पुराने इस वट वृक्ष जड़े बेहद फैली हुई है। मंदिर के पुजारी व गांव के लोग इस स्थान के प्रति बेहद आस्था रखते हैं। हर रोज वटवृक्ष के नीचे प्रभु श्रीराम के चरण पादुका की पूजा की जाती है।
अयोध्या में जब प्रभु श्री राम को राजपाट की जगह वनवास मिला तब वह अपनी पत्नी सीता, अनुज लक्ष्मण के साथ वन की ओर निकल पड़े। श्रृंगवेरपुर में गंगा पार करने के बाद वह कौशांबी (जो पहले प्रयागराज था) के चरक मुनि आश्रम के नजदीक पहुंचे। इसी आश्रम के नजदीक चरक मुन्नी से अनुमति प्राप्त करने के बाद प्रभु श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण जी ने रात्रि विश्राम किया था। जिस वट वृक्ष के नीचे प्रभु श्री राम ने विश्राम किया था आज भी अपनी बड़ी-बड़ी जटाओं के साथ मौजूद है। इस आश्रम के महंत भोला बाबा के अनुसार प्रभु श्री राम को अपने बीच पाकर आसपास के तमाम ग्रामीण उनके पास इकट्ठा हो गए थे। रात्रि विश्राम करने के बाद जब वह सुबह प्रयागराज भरद्वाज मुनि के आश्रम के लिए प्रस्थान करने लगे तभी उनकी चरण पादुका किसी भक्त ने छिपा दिया। स्थानीय लोगों का यह आशय था कि प्रभु श्री राम की चरण पादुका उन्हें नहीं मिलेगी तो वहां एक रात्रि और विश्राम कर करेंगे जिससे उन ग्रामीणों को प्रभु श्री राम का कुछ समय और सानिध्य प्राप्त हो सकेगा। हालांकि जब प्रभु श्री राम नंगे पांव आगे बढ़ने लगे तब ग्रामीणों ने उनकी चरण पादुका उन्हें वापस लौटा दी। चरण पादुका चोरी किए जाने से इस गांव का नाम चोरवा हो गया जो अब चरवा के नाम से जाना जाता है। चरक मुनि आश्रम के नजदीक रहने वाले हेमंत कुमार पांडे का कहना है कि तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के अयोध्या कांड में 104 नंबर चौपाई पर यह प्रसंग वर्णित है। जिसमें प्रभु श्री राम अपनी पत्नी व भाई लक्ष्मण के साथ रात्रि विश्राम के लिए यहां पर रुके थे। प्रभु श्री राम ने जिस सरोवर में स्नान किया था, आज उस सरोवर को राम झूठा तालाब के नाम से जाना जाता है। चरक मुनि के आश्रम के नजदीक जिसे अब चरवा कहा जाता है पर रुकने के बाद प्रभु श्री राम प्रयागराज के लिए प्रस्थान कर गए थे। आज जब अयोध्या में प्रभु श्री राम के मंदिर की नींव रखने की तैयारी हो रही है तब चरवा के लोग भी बेहद प्रसन्न व रोमांचित हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कोरोनावायरस के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का मामला न होता तो वह भी इस गौरवशाली क्षण के भागी बनने के लिए अयोध्या जरूर पहुंचते।