तहसीलदार पर बार एसोसिएशन ने लगाया गंभीर आरोप
लक्सर मे तहसीलदार पर लक्सर बार एसोसिएशन ने आरोप लगाया है। कि लक्सर तहसीलदार काम नहीं कर रही हैं। पिछले 3 महीने से वह अपने न्यायालय में नही बैठी है।और तहसीलदार के कारण किसानों के दाखिल खारिज रुके पड़े हैं।जिनसे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।अगर किसी किसान ने अपनी जमीन बेची है। तो उसका दाखिल खारिज नहीं हो पा रहा है।जिससे किसानों को अपने केसीसी ऋण लेने व चुकाने में काफी दिक्कत हो रही है। लक्सर तहसील में तहसीलदार संबंधित सभी कार्य रुके पड़े हैं। अधिवक्ताओं ने बताया कि 300 से ज्यादा फाइलें अभी प्रतीक्षारत हैं।अधिवक्ताओं ने मामले की शिकायत माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार व कृषि मंत्री भारत सरकार मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार राजस्व मंत्री उत्तराखंड सरकार जिलाधिकारी हरिद्वार व उप जिलाधिकारी लक्सर से की है। हमने इस मामले में लक्सर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट कुशल पाल सिंह से बात की उन्होंने बताया कि लक्सर तहसील में कार्यरत तहसीलदार श्रीमती सुशीला कोठियाल द्वारा तहसील के सभी कार्यों को पेंडिंग रखा जा रहा है। जिसका खामियाजा क्षेत्र के किसानों को भुगतना पड़ रहा है। किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड नही बन पा रहे है।जमीनो के दाखिल खारिज नही हो पा रहे है। जबसे सुशीला कोठियाल ने चार्ज संभाला है।तब से सभी काम रुक गए है।तहसीलदार लक्सर के पास लक्सर तहसील द्वारा आवास आवंटित किया गया है। लेकिन उसके बावजूद भी लक्सर तहसीलदार सुशीला कोठियाल हर रोज रुड़की से आना-जाना कर रही हैं।जिससे वह 11 बजे से पहले कार्यालय नही पहुंचती है। कुछ समय कार्यालय में बैठकर वापस चली जाती है।तहसीलदार के रुड़की से आने जाने में सरकार पर हजारों का बोझ पड़ रहा है। जबकि तहसीलदार को सरकारी आवास आवंटित किया गया है। हमने अधिवक्ताओं की शिकायत को लेकर लक्सर उपजिलाधिकारी पूरन सिंह राणा से बात की गई तो बताया कि ज्ञापन मेरे संज्ञान में आया है। दोनों पक्षों को सुना जाएगा और मामले का निपटारा किया जाएगा।तहसीलदार पर रुड़की से आने जाने के आरोप के बारे में उन्होंने कहा कि सुशील कोठियाल के तीन छोटे बच्चे ही जिनकी पढ़ाई रुड़की के स्कूल में चल रही है।जिनकी देखरेख के कारण उन्हें रुड़की से ही आना जाना पड़ रहा है। तहसीलदार सुशीला कोठियाल का आना-जाना सरकार पर बोझ बन रहा है। सरकारी गाड़ी से आने जाने में हजारों का खर्च हर रोज सरकार को वहन करना पड़ रहा है।