छात्रवृत्ति घोटाले का जल्द हो खुलासा – आप
प्रदेश में हुए 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की छात्रवृत्ति घोटाले मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुए, सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से मामले में शपथपत्र न देने पर नाराजगी जताई, वहीं अब कोर्ट ने प्रदेश सरकार को 8 अक्टूबर तक का समय दिया है, अब कोर्ट के आदेश के बाद त्रिवेंद्र सरकार को कोर्ट में शपथ पत्र पेश करना है जबकि ये मामला लंबे समय से सुर्खियों में है। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता शिशुपाल रावत ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, 2017 में प्रदेश सरकार के संज्ञान में जब ये मामला आया तो इसको लेकर एक कमेटी गठित की गई लेकिन कमेटी ने यह कहकर मामले को रफा दफा करने की कोशिश की कि घोटाला हुआ ही नहीं,अब कोर्ट के सख्त होने के बाद वो कमेटी भी शक के दायरे में आ गई। आप प्रवक्ता ने सवाल उठाते हुए कहा, प्रदेश सरकार ने कॉलेजों के खातों में बिना वैरिफिकेशन के करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति जमा क्यों कराई, जबकि ज्यादातर कॉलेज नेताओं के सगे संबंधियों के ही रहे, खास बात यह थी कि तब से लेकर 2017 में मामला कोर्ट में पहुंचने तक किसी ने भी इस लूट पर बात उठने के बावजूद,कमेटी बनने पर भी अंकुश लगाने का प्रयास नहीं किया। अलबत्ता वह चहेतों अफसरों को अभयदान देने की राह तलाशते रहे।
प्रदेश के हजारों अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को केंद्र सरकार द्वारा छात्रवृत्ति दी जाती है, परन्तु समाज कल्याण विभाग द्वारा इस सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है। हजारों छात्रों के मामले हरिद्वार व देहरादून जिले में सामने आने के बाद, मोटे तौर पर इस घोटाले में लगभग पांच सौ करोड़ से अधिक के घपले की आशंका है। सबसे बड़ा सवाल ये उठता है, महालेखाकार भारत सरकार, निदेशक समाज कल्याण व अपर सचिव समाज कल्याण के नोटिंग के बावजूद हुई अनियमितता इस घोटाले के तार राज्य से बहार भी जुड़े होने की आशंका को बल दे रहे हैं।
रावत ने कहा कि छात्रवृत्ति का पैसा विद्यार्थियों को न देकर कालेजों को दिया गया या फिर उन लोगों को दिया गया है, जो उस स्कूल के छात्र ही नहीं थे, इससे यह साफ जाहिर होता है कि इस घोटाले के तार काफी ऊपर तक जुड़े हैं और बड़े स्तर पर ये घोटाला हुआ है। आप प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह के घोटाले पर त्रिवेंद्र सरकार का नर्म रुख यह दर्शाता है कि बच्चों के भविष्य से हुए खिलवाड़ से उनका कोई सरोकार नहीं है, त्रिवेंद्र सरकार ने जांच के नाम पर कमेटी गठित कर अपना काम पूरा कर दिया जिसके बाद उनको कोई मतलब नहीं रहा और न ही अब भी सरकार मामले में गंभीर नजर आ रही है कोर्ट का सरकार को समय पर शपथपत्र ना देने को लेकर नाराजगी सामने आने के बाद, सरकार को शपथपत्र के लिए 8अक्टूबर का समय दिया गया है । इन तमाम बातों से ये जाहिर होता है इससे जुड़े लोग इस घोटाले से बच निकलने की कवायद में जुट गए हैं । आप ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार से मांग करती है कि जल्द से जल्द ऐसे लोगों के चेहरे बेनकाब हो और घोटाले का पर्दाफाश हो और इससे जुड़े छोटे बड़े कोई भी अधिकारी हो उनको जल्द से जल्द बेनकाब करें।