मानवता को केंद्र में रखकर हो वैज्ञानिक विकास
ऋषिकेश– परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारतीय वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि विज्ञान ने मानव को भौतिक प्रगति के उच्चतम शिखर तक पहुँचा दिया है। मानव के भौतिक विकास हेतु विज्ञान अत्यंत आवश्यक है। वैज्ञानिक सोच, शोध और आविष्कारों ने जीवन को अत्यंत सरल और सहज बना दिया है परन्तु वैज्ञानिक आविष्कारों में मानवता का होना बहुत जरूरी है। मानवता और मानवीय मूल्यों दया, करूणा, प्रेम, संयम, अहिंसा आदि गुणों और कल्याणकारी विचारों के कारण ही विज्ञान, मानव और प्रकृति का मित्र बन सकता है। मानवीय मूल्यों के साथ किया गया विकास ही स्वभाविक एवं सुव्यवस्थित विकास हो सकता है। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि एक विकासवादी भविष्य के निर्माण के लिये विज्ञान और आध्यात्मिकता का संयुक्त स्वरूप और दोनों का समन्वय बहुत जरूरी है। आध्यात्मिकता, विज्ञान की वह नींव है जिस पर विकास का मजबूत भवन खड़ा किया जा सकता है। नींव मजबूत होगी तो भवन स्थायी और सुदृढ़ होगा क्योंकि अध्यात्म और विज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं इसलिये दोनों को साथ लेकर चलना होगा, दोनों में से एक भी कमजोर होगा तो सतत विकास की कल्पना नहीं की जा सकती हैं। विज्ञान, भौतिक प्रगति का आधार है परन्तु अकेला विज्ञान सजृनकर्ता नहीं हो सकता। विज्ञान के साथ मानवता और नैतिकता होगी तभी वह विध्वंसक नहीं बल्कि सृजन करने वाला होगा।