व्यक्ति या समुदाय को मानवीय अधिकारों से वंचित करना मानव धर्म नहीं- स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश– संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल 1 मार्च को जीरो डिस्क्रिमिनेशन डे दिवस मनाया जाता है, इसकी शुरुआत 2014 से की गयी थी।
जीरो डिस्क्रिमिनेशन डे के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि भारत भगवान श्री कृष्ण, भगवान श्री राम, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर और महात्मा गांधी का देश है, जिन्होंने भेदभाव, हिंसा, अपमान, घृणा, रंग, क्षेत्र, नस्ल, वेशभूषा आदि के आधार पर होने वाला भेदभाव को समाज से समाप्त करने के लिये सदैव अनेकता में एकता, समता, समरसता एवं सद्भाव का संदेश दिया। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि किसी व्यक्ति या समुदाय से उसकी जाति, लिंग, रंग, नस्ल इत्यादि के आधार पर घृणा करना या उसे सामान्य मानवीय अधिकारों से वंचित करना मानव धर्म नहीं है। जब हम मनुष्य के रूप में देखते है तो सभी का जन्म और मृत्यु का विधान समान हैं। मानव शरीर समान कोशिकाओं और उत्तकों का बना है। अर्थात शारीरिक रचना के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। भेदभाव का विचार केवल मानव की सोच में विद्यमान है। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इक्वालिटी केवल संसद में इक्वालिटी बिल पारित करने से नहीं आयेगी बल्कि उसके लिये परिवार, समाज, संस्थानों और धर्मों को अपनी मान्यताओं को बदलना होगा और भेदभाव से ऊपर उठकर एक मजबूत सोच को विकसित करना होगा ताकि समाज में जो भेदभाव और सामाजिक असमानता है वह समाप्त हो सके।