परमार्थ निकेतन में आयोजित कार्यक्रम में 32 विद्यालयों के 260 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभाग किया

परमार्थ निकेतन में आज अन्तर्राष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर ’जल जागरूकता और स्वच्छ जल का सुरक्षित उपयोग’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी और विद्यालयों के प्राचार्यो ने दीप प्रज्जलित कर किया। जल जीवन मिशन द्वारा आज अन्तर्राष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर भारत में सभी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो इस हेतु ऑनलाइन वेबनाॅर का आयोजन किया गया। जिसमें ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, श्री रामदास अठावले जी, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री, जैक सिम, संस्थापक, विश्व शौचालय संगठन अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग कर प्रेरक उद्बोधन एवं समाधान प्रस्तुत किये।
परमार्थ निकेतन में आयोजित कार्यक्रम में ऋषिकेश शहर और आसपास के क्षेत्र के 32 विद्यालय के 260 से अधिक विद्यार्थियों, शिक्षकों और प्राचार्यो ने सहभाग किया। जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिये आर्ट काम्पटीशन का आयोजन किया गया ताकि बच्चे जल के महत्व को समझें और घटते स्वच्छ जल के प्रति सहेत रहें।
अन्तर्राष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि स्वच्छ जल और स्वच्छता का अधिकार मौलिक अधिकार है जिस पर सभी का अधिकार है। स्वच्छ जल तक प्रत्येक व्यक्ति की पहुंच होनी चाहिये परन्तु वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर 2.1 बिलियन लोगों को अपने घर पर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है, वहीं 2.3 बिलियन लोगों के पास बुनियादी स्वच्छता की सुविधा नहीं है।
घरेलू स्तर पर स्वच्छ पेयजल, सफाई और स्वच्छता प्रबंधन के लिये काफी हद तक घर की बेटियां और महिलायें ही जिम्मेदार होती हैं और इन बुनियादी जरूरतों के अभाव में उन्हें ही सबसे अधिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अधिकांश घरों में जहाँ पीने के पानी के स्रोत घरों के बाहर हैं, वहाँ पानी लाने की जिम्मेदारी महिलाओं और लड़कियों की ही होती है। जब लड़कियों को पानी लाने के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, तो इसके कारण वे अपनी शिक्षा पर ध्यान नहीं दे पाती। इन बुनियादी जरूरतों के अभाव के कारण महिलाएँ और लड़कियाँ समाज में समान रूप से भाग नहीं ले पाती हैं।
स्वामी जी ने कहा कि जल और स्वच्छता के क्षेत्र में शिक्षकों के नेतृत्व की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। यदि बच्चों को जल संरक्षण का महत्व सिखा दिया जाये तो आने वाली पीढ़ी स्वतः ही जल के महत्व को समझने लगेगीं हमें केवल एक पीढ़ी को ही जल के महत्व को समझाने की जरूरत है।
भारत में जल उपलब्धता व उपयोग पर विचार करें तो भारत में वैश्विक ताजे जल स्रोत का मात्र 4 प्रतिशत मौजूद है जिससे वैश्विक जनसंख्या के 18 प्रतिशत (भारतीय आबादी) हिस्से को जल उपलब्ध कराना होता है। भारत में बढ़ते जल संकट के खतरे के प्रति जागरूकता पैदा करना है और जल संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता नितांत आवश्यक है।