पहाड़ों के जंगलों में पक चुके काफल लेकिन कोरोना के चलते काफल खरीददार नहीं मिल रहे

उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में इन दिनों जंगलों में औषधि से भरपूर जंगली फल काफल बड़ी मात्रा में पका हुआ है नैनीताल जिले के विभिन्न इलाकों में भी इस समय काफल पक चुके है। लोग जंगलो में इस औषधीय फल खाने, और तोड़कर बाजारों में बचने के लिए पहुच रहे है। लेकिन कोरोना वैश्विक महामारी के चलते इस बार जंगलों से इन फलों को तोड़कर बाजारों में 200₹ से 300₹ किलो बेचकर अपनी आजीविका चलाते थे। लेकिन अब बाजारों में इस स्वादिष्ट और सेहत की दृष्टि से फायदेमंद काफल के खरीददार नहीं मिल रहे है।
काफल एक मीठा व औषधीय स्वादिष्ट फल है। जो जून माह में जंगलो में पकता है। उत्तराखंड आने वाले पर्यटक इसे खूब खरीदते थे, जिससे यहं के स्थानीय युवाओं को कुछ दिनों का रोजगार भी मिल जाता था। स्वादिष्ट औषधीय फल के साथ-साथ यह पर्यावरण के लिए भी विशेष महत्व रखते है।