संगीत की साधना करती मेयर का नया रूप आया सामने
ऋषिकेश-राजनीति की माहिर खिलाड़ी के तौर पर अपनी छाप छोड़ चुकी नगर निगम मेयर अनिता ममगाई का सोशल मीडिया में उनके हजारों एफ बी फेन ने संगीत की साधना करने वाला रूप देखा तो हर कोई दंग रह गया।इसके साथ ही उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि फील्ड चाहे कोई भी हो वह बेहतरीन आलराउंडर है ।जो तमाम विधाओं में पूर्ण और जबरदस्त प्रतिभा सम्पन हैं। नगर निगम महापौर ने कोरोना संकट काल के बीच वृहस्पतिवार की दैर रात हारमोनियम पर गढ गीत “नारंगी की दाणी” प्रस्तूत कर एफ बी पर पोस्ट किया तो उनके टेलेंट को सोशल मीडिया में जमकर सराहा गया।दिलचस्प यह भी है कि कोविड 19 के खतरों से तीर्थ नगरी के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए पिछले दो माह के दौरान महापौर के अनेकों रुप शहर की जनता को देखने मिलता रहा है कभी वह पाईप हाथों में थाम खुद सैनेटाइजेशन कराती नजर आई तो कभी निगमकर्मियों की हौसला अफजाई के लिए सेनिटाइजर वाहन का स्टेयरिंग थामें वाहन चलाते।निगम की रसोई में जरुरतमंदों के लिए भोजन व्यवस्था का लगातार मुआयना करती रही महापौर मुश्किल में घिरे लोगों की मदद के लिए अमूमन रोज ही राशन वितरित भी करती रही हैं।खुद को इन तमाम कार्यों के लिए बिना थके बिना रूके कैसे वो बखूबी कर पाती हैं।इसके लिए कुछ ही दिन पहले उन्होंने योग आसन्न जमाने वाला एक वीडियो पोस्ट किया था ,जिसमें लोगों को भी संदेश दिया गया था कि कोरोना सहित तमाम रोगों से लड़ना है तो उसके लिए नियमित रूप से योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाए।इन सबके बीच नगर निगम महापौर ने कोरोना संकट काल के बीच लोक संस्कृति के नारंगी की दाणी गीत को अपनी मधुर आवाज में प्रस्तूत कर एफ बी पर पोस्ट किया तो उनकी जबरदस्त प्रतिभा और शास्त्रीय संगीत के प्रति उनके प्रेम और समपर्ण को देख हर कोई दंग रह गया।महापौर अनिता ममगई से उनके संगीत साधना के सामने आयेे नये रूप के बारे में पूूूछने पर उन्होंने बताया कि संगीत मन को खुुुशी तो देता ही है हर तनाव को भी छण भर में दूर कर देता है।महापौर की मानेें तो वाद्य का इतिहास, मानव संस्कृति की शुरुआत से प्रारम्भ हुआ था।
ऐसी मान्यताए है कि हिन्दू देवी देवता भी संगीत के वाद्य यंत्र बजाते थे ।श्री कृष्ण वाँसुरी बजाते थे एवं वे सदा ही अपने साथ बासुरी रखते थे। माँ सरस्वती हमेशा वीणा अपने साथ रखती हैं। शिव जी का डमरु उनके त्रिशूल की शोभा बढाता है। पोराणिक मान्यताओ को माने तो त्रिदेव भगवान – ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने ढोल का निर्माण किया था।महापौर के अनुसार संगीत का बेहद शौक होने के बावजूद अब रोज 16-से18 घंटे काम करने के बाद संगीत की साधना का वक्त ही नही मिलता।हारमोनियम वादन पर उन्होंने बताया कीअद्धभूद वाद्यों का महत्व केवल उनका वादन मात्र ही नहीं है अपितु ये वाद्य समृद्ध सांस्कृति का भी प्रतिबिम्ब हैं। इन वाद्यों के बारे में जानकर, उनका विकास करना न सिर्फ हमारा दायित्व भी है अपितु हमारा कर्तव्य भी है। क्योंकि हमारे जीवन में वाद्यों का महत्वपूर्ण अस्तित्व है।