हमारे जीवन में होने वाली क्रिया और गतिविधि प्रकृति पर निर्भर- स्वामी चिदानंद सरस्वती
ऋषिकेश- विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस प्रतिवर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व स्तर पर स्वच्छ वातावरण के साथ स्वस्थ और स्थायी समाज के निर्माण हेतु लोगों को जागरूक करना और पृथ्वी, प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों केे संरक्षण के लिए सतत प्रयास करने हेतु जनमानस को प्रेरित करना। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि हमारे जीवन में होने वाली प्रत्येक क्रिया और गतिविधि प्रकृति पर निर्भर करती है। मानव द्वारा किये जा रहे प्रत्येक कार्य और व्यवहार का असर पर्यावरण और पृथ्वी पर पड़ता है जिससे वे प्रभावित होते हैं। पृथ्वी पर उपस्थित सभी मनुष्यों और प्राणियों के जीवन के लिए जल, वायु, पेड़, भोजन, मिट्टी, खनिज तत्व अत्यंत आवश्यक है और यह हमें प्रकृति से ही प्राप्त होेेते हैं इसलिये प्रकृति का संरक्षण जरूरी है। प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु अपना योगदान प्रदान करें। हम सभी का कर्तव्य है कि पर्यावरण को स्वच्छ, सुरक्षित और संरक्षित करें ताकि वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण का निर्माण किया जा सके। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के आँकड़ों के अनुसार, पृथ्वी पर पाए जाने वाले कुल जीव-जंतुओं में से लगभग 7-8 प्रतिशत भारत में पाए जाते हैं। साथ ही भारत की जनसंख्या विश्व की कुल आबादी का लगभग 17 प्रतिशत है, जबकि भारत का क्षेत्रफल पृथ्वी के कुल भू-भाग का मात्र 2.4 प्रतिशत ही है। ऐसे में विकास के लिये जो भी योजनाओं बनायी जाती है और उनका कार्यान्वयन किया जाता है, उस समय प्रकृति और पर्यावरण पर विपरित प्रभाव पड़ता है, इसलिये हमें सतत और हरित विकास पर जोर देना होगा। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने तेजी से विकास किया और अभी भी जारी है परन्तु इस दौरान प्रकृति के क्षरण, पर्यावरण प्रदूषण और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। हमें यह बात याद रखना होगा कि विकास हो और आर्थिक हितों को भी ध्यान में रखा जाये परन्तु सबसे जरूरी है पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखना।