पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के घर नोटिस लेकर पहुंची सीबीआई की टीम
देहरादून: 2016 के चर्चित विधायक हॉर्स ट्रेडिंग मामले को लेकर उत्तराखंड का सियासी पारा एक बार गरमा गया है। गुरुवार सुबह सीबीआई की टीम हरीश रावत के घर नोटिस लेकर पहुंची लेकिन वह नहीं मिले तो टीम वापस लौट गई। इस बात को लेकर राज्य के पूर्व सीएम ने केंद्र और धामी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सीबीआई इतनी जल्दी में थी, वो उस वक्त मेरे घर पर नोटिस लेकर पहुंची जब मैं दोस्तों के घर ईद की मुबारकबाद देने गया था। हरिश रावत ने इस मामले पर फेसबुक पर एक पोस्ट भी किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि CBI के नोटिस के संबंध में मैंने आपसे कहा था कि मैं पूरा सहयोग करुंगा।
उन्होंने फेसबुक पोस्ट पर लिखा ‘ दोस्तों #CBI के नोटिस के संबंध में मैंने आपसे कहा था कि मैं पूरा सहयोग करूंगा! क्योंकि ज्यों-ज्यों जांच आगे बढ़ेगी, न्यायालय के विभिन्न स्तरों पर तर्क-वितर्क आएंगे, तो जो हमारे ऊपर आरोप लगे हैं और #भाजपा ने जिस तरीके से उन आरोपों को दुष्प्रचारित किया है, एक भ्रम पैदा किया है। मेरे सार्वजनिक जीवन के हित में है कि वो बातें, पूरी स्थितियां उत्तराखंड और देश के लोगों के सामने स्पष्ट हों। मगर CBI इतनी जल्दी में है कि आज सुबह जब मैं कुछ दोस्तों को #ईद की मुबारकबाद देने गया था तो उस दौरान मेरे घर पर नोटिस लेकर के पहुंच गए, मैं घर पर था नहीं। फिर मैंने निश्चय किया है कि मैं उनको खुद आमंत्रित करूं कि आएं और चाहें तो आज अर्थात 29 जून को ही मुझे नोटिस सर्व कर दें।
आपको बतादें कि हाल ही में कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट और स्टिंग ऑपरेशन से जुड़े निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। सीबीआई ने इन चारों के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। जिस पर कोर्ट ने नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। वर्ष 2016 में हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए उनका एक स्टिंग करने का दावा उमेश कुमार ने किया था। इसके बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया था। इसी दौरान एक और स्टिंग सामने आया था, इसमें विधायक मदन सिंह बिष्ट के होने का दावा किया गया। इसमें डॉ. हरक सिंह रावत के भी शामिल होने का दावा किया गया था। दोनों ही स्टिंग के बारे में उमेश कुमार ने दावा किया था कि हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की डीलिंग की जा रही थी। इसमें रुपयों के लेन-देन होने की बात का दावा भी स्टिंग प्रसारण के दौरान किया गया था। बाद में इस पूरे मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी। स्टिंग में जो आवाजें हैं उनके मिलान के लिए इन चारों ही नेताओं के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति सीबीआई ने अदालत से मांगी है।