मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गरीबों के आशियाने के लिए नई आवास नीति को किया लागू

देहरादून : उत्तराखंड की धामी सरकार ने गरीबों के आशियाने का सपना साकार करने के लिए नई आवास नीति को लागू किया है, जिससे गरीबों के लिए सस्ती आवास योजनाओं में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इस नीति के तहत, विकासकर्ताओं को विशेष छूट देने की व्यवस्था की गई है, जिससे आवास निर्माण में तेजी आएगी और गरीबों को उनका घर मिलने की राह आसान होगी।
नई नीति के अनुसार, ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी के लिए नौ लाख रुपये तक के आवास पर राज्य और केंद्र सरकार मिलाकर 3.5 से 4.5 लाख रुपये की सहायता देगी। इस योजना के तहत, लाभार्थियों को केवल 4.5 से 5.5 लाख रुपये ही चुकाने होंगे। इसके अलावा, बैंक से लोन लेने की प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है, जिससे अब लोन प्राप्त करना और उसका खर्च कम हो गया है।
ईडब्ल्यूएस आवास के लिए मैदानी क्षेत्रों में प्रति आवास अधिकतम नौ लाख रुपये निर्धारित किए गए हैं। इसमें से 5.5 लाख रुपये लाभार्थी को वहन करने होंगे, जबकि 2 लाख रुपये राज्य सरकार और 1.5 लाख रुपये केंद्र सरकार द्वारा दिए जाएंगे। इसके अलावा, यदि बाखली शैली में आवास बनाए जाते हैं तो अतिरिक्त सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
साथ ही, सरकार ने स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क में भी बड़ी छूट दी है। पहले जहां छह प्रतिशत स्टाम्प शुल्क और दो प्रतिशत पंजीकरण शुल्क लगता था, अब यह महज 1500 रुपये (500 रुपये पंजीकरण शुल्क) होगा, जिससे आवास खरीदने वालों को महत्वपूर्ण बचत होगी। बैंक से लोन लेने पर अब स्टाम्प शुल्क भी नहीं लगेगा, जिससे 10 लाख के आवास पर 5000 रुपये की बचत होगी। धामी सरकार ने यह भी घोषणा की है कि 10,000 वर्ग मीटर तक के भू-उपयोग परिवर्तन का प्राधिकरण के स्तर से तीन महीने के भीतर निपटारा होगा। इसके साथ ही, ईडब्ल्यूएस के नक्शे को पास कराने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। परियोजना के लिए जमीन खरीदने वाले बिल्डरों को स्टाम्प शुल्क में छूट मिलेगी और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने पर सरकार उसकी प्रतिपूर्ति भी करेगी। नई नीति के तहत, सामान्यतः चार मंजिला ईडब्ल्यूएस भवनों को अब आठ मंजिला तक बनाने की अनुमति दी गई है, और इनमें लिफ्ट की व्यवस्था भी होगी। लिफ्ट की देखरेख बिल्डर को 10 साल तक करनी होगी।