पंतनगर कृषि विश्विद्यालय के वैज्ञानिकों ने बिना पराली जलाए गेंहू की बुआई सुपरसीड यंत्र से करने का दिया सुझाव
रुद्रपुर: देश के कई हिस्सों में पराली जलाने से जहां एक ओर जहां धुआं होता है। वहीं हर साल वायु प्रदूषण से भी लोगों को दो-चार होना पड़ता है। धान की पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए राज्य सरकार ने ऐसा करने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए है। इन सब के बीच पंतनगर कृषि विश्विद्यालय के वैज्ञानिकों ने बिना पराली जलाए गेंहू की बुआई सुपरसीड यंत्र से करने का सुझाव दिया है। तकनीक से गेहूं बोने वाले किसानों की लागत में भी कमी देखी गयी है। किसान गेहूं की बुआई करने के लिए धान की पराली को खेत में ही जलाकर जुताई करते हैं। जिस कारण पर्यावरण भी दूषित होता है. यही नहीं काश्तकारों का अधिक श्रम, समय तथा धन भी खर्च होता है. पराली को बिना जलाए गेंहू की अधिक पैदावार को लेकर पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के फार्म मशीनरी एवं पावर इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. टीपी सिंह ने किसानों को इसका विकल्प सुझाते हुए जीरो टिलफर्टी सीड ड्रिल अथवा सुपरसीडर से गेहूं की बुआई करने की सलाह दी है। इस विधि से गेहूं की बुआई से प्रदूषण को रोका जा सकता है।